डिजिटल कैमरा लूं या फिर एसएलआर कैमरा ?

difference between slr and compact camera

स्‍कूल और कालेज के दिनों को ताउम्र अपने पास संजो कर रखने के लिए फोटो से बेहतर कोई और विकल्‍प नहीं हो सकता। एक तरह से हमे महान वैज्ञानिक अल्हाजेन का तहे दिल से धन्‍यवाद करना चाहिए जिन्‍हों 1000 साल पहले इस नायाब मशीन यानी कैमरे को बनाया था। जो समय के साथ साथा बदलता गया जो अब डीएसएलआर कैमरों का रूप ले चुका है।

अगर आपको याद हो तो हम पहले रील वाले कैमरों का प्रयोग करते थे लेकिन अब उन्‍हीं की जगह डिजिटल कैमरों ने ले ली है जिसमें एलसीडी स्‍क्रीन के साथ बेहतर फोटों लेंस होता है। क्‍या अंतर है डिजिटल कैमरे में और डीएसएलआर कैमरे में काफी लोगों को डिजिटल और डीएसएलआर कैमरें के बीच दिए गए अंतर के बारे में ज्‍यादा नहीं मालूम होता।

अगर आप उनसे पूछें डीएसएलआर कैमरा क्‍यों लेना चाहते तो सीधा सा जवाब होगा। लेंस बदल सकते हैं, ज्‍यादा मेगापिक्‍सल है, देखने में अच्‍छा है। लेकिन किसी भी कैमरें को लेने से पहले ये सभी बातें मायने तो रखती हैं लेकिन इनके अलावा भी काफी ऐसी चीजें हैं जो हमें ध्‍यान में रखना चाहिए। अब फरारी तो सभी को अच्‍छी लगती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कारों में केवल वहीं एक अच्‍छी कार है।

आपको कैमरा क्‍यों चाहिए कैमरा लेने से पहले अपने आप से एक सवाल जरूर पूछिए कि आखिर आपको कैमरा क्‍यों चाहिए। अगर आप पार्टी, पिकनिक या फिर घरेलू फोटोग्राफी के लिए कैमरा लेना चाहते हैं तो कभी कभी भूलकर डीएसएलआर कैमरा न लें क्‍योंकि वो एक तरह से पैसे की बबार्दी होगी।

हां डीएसएलआर कैमरे की जगह सेमी डीएसएलआर कैमरा ले सकते हैं जिसमें सिर्फ लेंस चेंज करने की सुविधा नहीं होती लेकिन बाकी सभी फीचर डीएसएलआर जैसे होते हैं इन्‍हें टेक्‍निकल भाषा में ब्रिज कैमरा भी कहते हैं। इन कैमरों की कीमत एसएलआर से कम होती है। वहीं दूसरी ओंर आपका बजट भी काफी मायने रखता है। अगर आप डिजिटल कैमरों की रेंज से एसएलआर कैमरें की ओर बढ रहें हैं तो 2 या 3 हजार रुपए के चक्‍कर में शुरुआती एसएलआर कैमरा लेने से अच्‍छा होगा थोड़ा बेहतर एसएलआर कैमरा लें।


मेगापिक्‍सल का भ्रम अक्‍सर कैमरे की शॉप में आपने ज्‍यादातर लोगों की जबान से एक ही शब्‍द सुना होगा कि कितने मेगापिक्‍सल का है जैसे 5 मेगापिक्‍सल या फिर 7 मेगापिक्‍सल लेकिन क्‍या आप जानते हैं आखिर मेगापिक्‍सल का फोटो से क्‍या लेना देना है। आपके कैमरे में जितने ज्‍यादा मेगापिक्‍सल होंगे फोटो की क्‍वालिटी उतनी ही महीन यानी साफ होगी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप हाईमेगापिक्‍सल का कैमरा लें।

उदाहरण के लिए अगर आपको अपनी एलबम के लिए फोटो लेनी है तो 5 से 7 मेगापिक्‍सल कैमरा जरूरत के हिसाब से साफ फोटो खींचेगा लेकिन अगर आपको उससे बड़ी यानी वॉल पोस्‍टर या फिर बैनर के लिए फोटो लेनी है तो 12 से 16 मेगापिक्‍सल कैमरा लेना सही होगा। वहीं दूसरी बात जितने ज्‍यादा मेगापिक्‍सल का कैमरा होगा फोटो भी उतनी भारी होगी। अगर आप 16 मेगापिक्‍सल कैमरे से फोटो लेते हैं तो हो सकता है उसे पीसी में ओपेन होने में टाइम लगे साथ ही ये मैमोरी भी ज्‍यादा कंज्‍यूम करेगी। साधारण तौर पर हमे 10 मेगापिक्‍सल से ज्‍यादा की जरूरत नहीं पड़ती उससे अगर आप एड फोटो ग्राफर या फिर प्रोफेशनल फोटो ग्राफर है तभी इससे ऊपर का कैमरा लें।


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बड़ा लेंस लेना अकलमंदी है दोस्‍तों दूसरी बात जो कैमरा लेने से पहले ध्‍यान रखें। पैसा आप खर्च कर रहे हैं इसलिए केवल दिखावे के लिए बड़ा लेंस लेकर चलना बेवकूफी होगी। हमेशा ऐसे लेंस का कैमरा लें जो मल्‍टीपरपज़ हो। डीएसएलआर में जो सबसे बड़ी खासियत होती है वो है लेंस बदलने की सुविधा जिसकी मदद से आप अलग अलग फोटोग्राफ खींचते समय लेंस बदल सकते हैं। लेकिन क्‍या नार्मल फोटोग्राफी के लिए 30 हजार का कैमरा लेने के बाद उसमें 10 हजार का लेंस लेना अक्‍लमंदी होगी नहीं। जैसा की मैने पहले ही कहा है अगर आप प्रोफेशनल फोटोग्राफर है या फिर फोटोग्राफी ही आपका कैरियर है तभी डीएसएलआर कैमरा चुनें।

बड़े लेंस की खूबी होती है आब्‍जेक्‍ट को दूर या फिर पास लाना, आजकल के कैमरों में दो तरह से आब्‍जेक्‍ट देखने की सुविधा होती है पहली व्‍यूफाइंडर और दूसरा एलसीडी स्‍क्रीन, व्‍यूफाइंडर में हम जो भी देखते हैं वहीं लेंस में होता है यानी एलसीडी से देखकर फोटो खीचने के मुकाबले व्‍यूफाइंडर से फोटो ज्‍यादा बेहतर एंगल से खींची जा सकती है। कैमरे में दो तरह के लेंस होते हैं पहला ऑप्‍टिकल जूंम और दूसरा डिजिटल जूंम, ऑप्‍टिकल जूम का प्रयोग करते समय लेंस आगे पीछे होकर ऑब्‍जेक्‍ट को पास या दूर करता है जबकि डिजिटल जूम में लेंस में दिखने वाला व्‍यू जूम डिजिटल तरीके से जूम होता है। इसलिए कैमरा खरीदते समय हमेशा ऑप्‍टिकल जूम कितना है इसके बारे में जानकारी लें।


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क्‍या हम सभी फंक्‍शन प्रयोग करते हैं डिजिटल कैमरे में डीएसएलआर कैमरों के मुकाबले कम फीचर होते हैं लेकिन डिजिटल कैमरे से कोई भी आसानी से फोटो खींच सकता है जबकि अगर आपको डीएसएलआर कैमरे में दिए गए फीचरों को एडजस्‍ट करना या उन्‍हें प्रयोग करना नहीं आता तो कभी कभी डीएसएलआर से अच्‍छी फोटो नहीं खीचीं जा सकती।

अगर यूजर कंट्रोल के ऊपर बात करें साधारण तौर पर डिजिटल और डीएसएलआर कैमरे में रेज्‍यूल्यूशन, एक्सपोजर, मैक्रो मोड, फ्लैश के अलावा व्‍हाइट बैलेंस और सीन मोड फंक्‍शन होते हैं जिन्‍हें आप मैन्‍यूअली सेट कर सकते हैं। लेकिन ज्‍यादातर लोग डीएसएलआर कैमरा खरीद तो लेते हैं लेकिन लेंस को जूम इन और जूम आउट करने क अलावा वे ज्‍यादा कुछ फीचर नहीं यूज कर पाते।

यूजर कंट्रोल फोटो लेने से पहले कई सेटिंग्स की जाती हैं, जैसे रेजॉल्यूशन, मैक्रो मोड, फ्लैश, एक्सपोजर। आमतौर पर फोटोग्राफी की शुरुआत करते वक्त ये सब चीजें बहुत टेक्निकल लगती हैं और समझ में नहीं आतीं। अगर आप अपना पहला डिजिटल कैमरा खरीद रहे हैं, तो वह ऐसा हो जिसमें ये सारे कंट्रोल काफी आसान हों और ज्यादा सिर खपाई न करनी पड़े। फिर जैसे-जैसे सीखते जाएंगे, आप आगे भी बढ़ सकते हैं और वैसे कैमरे भी खरीद सकते हैं, जिनमें ये सब कंट्रोल मैन्युअली हैंडल कर पाएंगे।


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साइज कितना मायने रखता है भलें आपको शुरुआत में कैमरे के साइज से ज्‍यादा लेना देना न हो लेकिन कैमरा खरीदने के बाद उसे कैरी करने में काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है। कॉम्‍पैक्‍ट कैमरे को आप कहीं भी आसानी से पॉकेट में या फिर बैंग में रख सकते हैं लेकिन एसएलआर कैमरों को कैरी करने के लिए बैंग या फिर प्रोटेक्‍शन की जरूरत पड़ती है।