वोकल भारत में हिंदी ज्ञान साझा करने का सबसे बड़ा माध्यम है। अब यह प्रोडक्ट एंड्रॉयड और आईओएस पर भी उपलब्ध होगा। भारत के गैर-अंग्रेजी इंटरनेट यूजरों के लिए यह व्यक्तिगत स्तर पर (पीयर-टू-पीयर) हिंदी ज्ञान साझा करने का विशेष माध्यम है। वोकल ने एक बयान में कहा कि इससे वॉयस और वीडियो दोनों माध्यमों से ज्ञान का आदान-प्रदान आसान होगा। यूजर अपने सवाल क्षेत्रीय भाषा में पूछ पाएंगे जिनके जवाब विशेषज्ञ देंगे। उन्हें वॉयस या टेक्स्ट किसी माध्यम से सवाल पूछने की सुविधा होगी।
इस प्लेटफॉर्म के आज लाखों यूजर हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। वोकल पर विभिन्न विषय-वस्तुओं के 250,000 से अधिक प्रश्न दर्ज हैं और हर दिन हजारों नए सवाल पूछे जा रहे हैं। वर्तमान में हिंदी में उपलब्ध वोकल की सुविधा जल्द ही अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं में भी होगी। इसमें लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग का फीचर भी है ताकि जानकारों के लिए यूजर को जानकारी देना आसान हो।
वोकल की मदद से भारत के गैर-अंग्रेजी भाषी इंटरनेट यूजर भी इंटरनेट पर क्षेत्रीय भाषाओं का सही मायनो में आनंद ले सकते हैं। इस लिहाज से वोकल का महत्व और बढ़ जाता है कि भारत की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी अंग्रेजी नहीं जानती है और अनुमान यह है कि 2021 तक भारत के इंटरनेट यूजरों में 75 प्रतिशत क्षेत्रीय भाषा के लोग होंगे। इसलिए यह एक बहुत बड़ा और संभावना भरा ग्राहक वर्ग होगा।
प्रश्न पूछने के लिए यूजर को केवल साइन-अप करना होगा हालांकि उत्तर केवल वे देंगे जिन्हें इसके लिए आमंत्रित किया जाएगा या यूजर को इसके लिए आवेदन करना होगा। वोकल के प्लेटफॉर्म पर पहले से कई एक्सपर्ट हैं और वे अन्य एक्सपर्ट को भी आमंत्रित करते हैं।
वोकल के को-फाउंडर और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्णन ने कहा, भारत में अंग्रेजी नहीं जानने वालों के लिए अपने प्रश्नों का सटीक उत्तर पाना कठिन होता है। वे क्षेत्रीय भाषाओं में सार्थक विषय-वस्तु के अभाव में इंटरनेट का पूरा लाभ नहीं ले पाते हैं। हम पीयर-टू-पीयर कंटेंट नेटवर्क बना रहे हैं जिसका मकसद लोगों को जानकारी सुलभ कराना और ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा पूरी करना है।
वोकल के को-फाउंडर मयंक विदवाटका ने कहा, भारत गिने-चुने देशों में से एक है जिसमें इतनी भाषायी विविधता है। भारत में विभिन्न स्थानीय भाषा बोलने वालों की संख्या अमेरिकी आबादी की लगभग दोगुनी हो जाएगी। लेकिन उनके लिए इंटरनेट सही मायनों में सार्थक नहीं है क्योंकि जानकारी और ज्ञान की इच्छा पूरी करने के लिए कुछ बुनियादी स्तर के ट्रांस्लेशन विजेट्स मात्र उपलब्ध हैं। हम एक आधारभूत प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं जिसका वे हर दिन लाभ ले पाएंगे। दरअसल यह एक भारतीय समस्या है जिसका समाधान भी भारतीय होना चाहिए। गौरतलब है कि मौजूदा कंटेंट के अनुवाद मात्र से भारत जैसे देशों को इंटरनेट का पूरा लाभ नहीं होगा क्योंकि यहां लोग ऑडियो-विजुअल मीडिया से कंटेंट का आनंद लेना पसंद करते हैं।
वोकल भारत में गैर-अंग्रेजी भाषी इंटरनेट यूजरों के लिए ज्ञान साझा करने में सक्षम बनाने वाला खास प्लेटफॉर्म है जो उन्हें इंटरनेट का सही मायनों में पूरा लाभ देगा। पिछले कई दशकों से देश में जानकारी हासिल करने के अवसर में जो असमानता रही है वोकल से दूर होगी।